


राजनीति कब कब करवट बदलती है ये तो कोई नही जानता है....और करवट भी इस तरह से कि लोगो को कोई शक भी न हो... बीजेपी हो या फिर कोई अन्य राजनीतिक पार्टी हर कोई करवट बदल ने में माहिर है...बीजेपी तो इन सब में सबसे आगे है क्योकि अब उसे दिख रहा है यूपी की गद्दी का राजतिलक ... और इसके लिये उसने उठा लिया है एक एसा वाण जो शायद यूपी की गद्दी को दिलाने में बीजेपी के लिये राम बाण साबित हो सके... ये वो बाण है जो आप लोगो के दिमाग में हमेशा रहता है यानि कि सजन अब घर लौट आओ... जी हां यही सोच लेकर बीजेपी उतरी है मैदान में और उसने अपना पहला तीर छोड़ा है मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड के टीकमगढ़ में 13 मई 1959 में जन्म लेने वीली उमा भारती को अब घर वापस बुला लिया है... ये वो ही उमा भारती है.. जिन्हे बीजेपी ने 6 साल पहले बागी का नारा देकर घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया था..... और आज उन्ही का दाम थाम बीजेपी निकल पड़ी है उत्तर प्रदेश की गद्दी का सपना सजाने..... उमा भारती ने 1984 में बीजेपी से सबसे पहला चुनाव लडा था.. जिसमें उन्हे हार का सामना करने पड़ा था ... फिर उमा भारती ने 1989 में मध्य प्रदेश के खजुराहो से चुनाव लड़कर लोक सभा में पहला कदम रखा था.... और 1991,1996,और 1998 में इसी सीट से चुनाव लड़कर बीजेपी की एक सीट को मजबूत रखा... इसके बाद उमा भारती को पार्टी ने 1999 में भोपाल सीट से अपना उम्मीदवार बनाया....और एक बार फिर उमा की लहर ने पार्टी के विश्वास को बरकरार रखा... और अटल बिहारी की मजबूत सरकार का एक हिस्सा भी बनी...और इन्हे राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया ....
उमा भारती की लहर बीजेपी की उम्मीदो को इस तरह बढ़ा रही थी कि मध्य प्रदेश की पूरी कमान उनके हवाले कर दी गयी थी ... जिसके चलते उमा का बीजेपी को एक और रूप देखने मिला... ये रूप बीजेपी को जीत के रूप में देखने को मिला .... 10 सालो से मध्य प्रदेश में राज कर रही कांग्रेस की सरकार को उमा की लहर ने साफ कर दिया और दिग्गविजय सिंह को बता दिया कि वो एक साध्वी के साथ साथ एक नेता भी है जो जनता का दर्द जानती है......इसके बाद उमा को बीजेपी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर भी बिठाया लेकिन 2004 की दीपावली उमा भारती के लिये बीजेपी से बनवास के रूप में सामने आयी... नवंबर 2004 में धनतेरस के दिन आडवाणी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उमा भारती काफी बुरा-भला कहने के बाद वहां से चली गई थी। इस पर बीजेपी ने उन्हें कारण बताओं नोटिस जारी किया और पूछा कि क्यों न उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाए। जिसके कुछ दिनों बाद उमा के सामने ये मुद्दा आया कि अब उनकी जगह शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनेगे तो उमा ने इसका विरोध किया और पार्टी ने आखिरकार वर्ष 2005 में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा ही दिया। और उमा भारती ने राजनीति में एक और नयी पार्टी को जन्म दिया... उसका नाम भी भारतीय जनता पार्टी से मिलता जुलता रखा गया .... उमा की नयी पार्टी का नाम भारतीय जनशक्ति पार्टी रखा ताकि उन्हे बीजेपी से लगाव बना रहे ... वहीं इस पार्टी के वर्तमान में मध्य प्रदेश के विधान सभा में 5 विधायक है ... और इस पार्टी से चुनाव हारने के बाद उमा भारती ने इस्तीफा भी दे दिया है.... जिसके बाद से ये अटकले लगयी जारही थी कि उमा भारती जल्द ही अपने घर में वापसी करेगी और ये सब नितिन गडकरी की महनत का असर है जो आज उमा भारती बीजेपी में वापिस आयी है क्योंकि बीजेपी में भी उमा को चाहने वाले कम उनके दुश्म ज्यादा है.. लेकिन बीजेपी की डूबती नइया पार लगाने में उमा को साथ में रखना पार्टी के लिये बहुत जरूरी है क्योकि बुन्देलखण्ड और अन्य जिलो के यदि लोधी वोट बैंक को चाहिए तो उमा का साथ होना बहुत जरूरी है...क्योकि उमा ही एक एसी नेता है जो जनता को अपने भाषणो से बांध कर रख सकती है.. और इनका साथ होना बीजेपी के लिये बहुत जरूरी है यदि यूपी का सहरा बीजेपी को अपने सिर बांध ना है..
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- rachit kathil
- मै एक छोटे परिवार से हूं और एक सफल पत्रकार बनकर लोगों के कष्टों को सबके सामने लाना है....
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