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Sunday, April 5, 2009

इतने पास

Posted by rachit kathil

किसी के इतने पास न जा

के दूर जाना खौफ़ बन जाये

एक कदम पीछे देखने पर

सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये


किसी को इतना अपना न बना

कि उसे खोने का डर लगा रहे

इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये

तु पल पल खुद को ही खोने लगे


किसी के इतने सपने न देख

के काली रात भी रंगीली लगे

आखँ खुले तो बर्दाश्त न हो

जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे


किसी को इतना प्यार न कर

के बैठे बैठे आखँ नम हो जाये

उसे गर मिले एक दर्द

इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये


किसी के बारे मे इतना न सोच

कि सोच का मतलब ही वो बन जाये

भीड के बीच भी

लगे तन्हाई से जकडे गये


किसी को इतना याद न कर

कि जहा देखो वो ही नज़र आये

राह देख देख कर कही ऐसा न हो

जिन्दगी पीछे छूट जाये

1 comments:

Kittabo ke panne se said...

I LIKE YOR POEM IT CAN INSPIRED SOME ONE.I AM INSPIRED, I DON'T NO OTEHER WILL INSPIRED OR NOT.
-SUBODH B.Sc JIMMC

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